Short Stories-Hindi

मां

न जाने किस उधेड़ बुन में थी मां, सुबह से ही कुछ खोई खोई सी थी। शायद कल छोटी चली जाएगी यही सोच रही होगी। मां और छोटी कई सालों से साथ रह रही हैं। यूं तो छोटी के और भी भाई बहन हैं , पर सब उससे उम्र में काफी बड़े। सब की शादियां हो चुकी और सबके बच्चे भी हैं सभी दूर रहते हैं। अब छोटी भी दूर चली जाएगी, मां यही सोच कर उदास भी थी। और भगवान ने इतने समय बाद ये दिन दिखाया ये सोच कर ईश्वर का धन्यवाद भी देती।
मां और छोटी हमेशा साथ ही रहतीं। छोटी जहां भी जाती मां भी साथ हो लेती, छोटी को भी मज़ा आता की चलो मां भी कुछ नया देख लेगी, वरना मां तो बस घर में ही रही या कहीं गई भी तो बस नानी के घर।
मां और छोटी दोनों सहेलियां ही बन गई थीं जैसे। छोटी को मां को लेकर किसी काम से कालेज ले जाना भी अच्छा लगता। आखिर मां भी तो देखें कि ज़माना कहां आ निकला है।

मां छोटी को हर हफ्ते बाज़ार ले जाती, छोटी हर बार अपने लिए नई झुमकी लेती,पर पहनती नहीं, बस खरीदने भर का शौक था। न मां रोकती न छोटी रूकती। ये सिलसिला यूं ही चला आ रहा था। पर अब छोटी भी चली जाएगी। अब मां कैसे रहेंगी। छोटी को भी यही चिंता थी, मां बुढ़ी भी तो हो चली थी। तबीयत भी ठीक नहीं रहती। कौन अब मां का ख्याल करेगा। यही सब सोच उसके मन में चलती रहती। एक तरफ नयी जिंदगी की शुरुआत का उत्साह तो दूसरी ओर मां की फ़िक्र। शायद यही हर लड़की की उलझन होती है शादी के समय,घर जो छूट रहा होता है। बचपन से जिस घर में रही वो अपना नहीं वहां तो बस शादी होने तक रहना है। फिर सोचती मां भी कभी ऐसे ही सब छोड़ कर आई होगी अपनी दुनिया बनाई होगी|

मां बहुत याद आती हो!

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